हार्निया के लक्षण (Symptoms of Hernia)
आंत का अपने स्थान से हट जाना आंत उतरना या हर्निया कहलाता है । यह कभी अंडकोष मे उतर जाती है , तो कभी पेडु या नाभि के नीचे खिसक जाती है । यह स्थान के हिसाब से कई तरह की होती है । जैसे स्ट्रागुलेटेस ,अंबेलिकन आदि । जब आंत अपने स्थान से अलग होती है तो रोगी को काफी दर्द व कष्ट होता है । इसे छोटी आंत का बाहर निकलना भी कहा जाता है । खासतौर पर पुरुषो मे वक्षण नलिका से बाहर निकलकर अंडकोश मे आ जाती है । स्त्रियो मे यह वक्षण तन्तु लिंगामेंट के नीचे सूजन के रूप मे होता है । यह सूजन नीचे से दबने पर गायब हो जाती है । और फिर से छोड़ने पर वापस आ जाती है । इस बीमारी मे भोजन कम से कम करना चाहिए भोजन कम करने से कब्ज कम बनता है । इस बात का विशेष ध्यान रखे कि मल त्याग करते समय ज़ोर न लगाए क्योकि ज़ोर लगाने से आत उतर सकती है ।
हर्निया के कारण (Due to Hernia)
हर्निया पेट की कमजोर पर्त या दीवार के कारण भी हो सकता है । यह जन्मजात भी हो सकता है । पेट की गुहा मे अधिक दबाव पड़ने से कमजोर हिस्से पर तनाव बढ़ना हर्निया का कारण बन सकता है । हर्निया मांसपेशियो की कमजोरी व तनाव दोनों के सयोजन से होता है । यह कम समय मे विकसित हो सकता है ,कई बार इसको विकसित होने मे लंबा समय भी लग सकता है । ये हर्निया होने के कारण पर निर्भर करता है।
मांसपेशियों के कमजोर होने के निम्न कारण हो सकते है -
॰ गर्भ के समय बच्चे के पेट की पर्त का सही तरीके से विकसित न होना । यह एक जन्मजात दोष होता है ।
॰ लंबे समय से ख़ासी से ग्रसित होना ।
॰ चोट या सर्जरी की वजह से घाव ।
कुछ अन्य कारक है जो कमजोर मांसपेशिया और शरीर मे तनाव बढ्ने के कारण
॰ गर्भावस्था के दौरान ,जिसकी वजह से पेट पर दबाव पड़ता है ।
॰ कब्ज होने की वजह से मल त्याग करते समय प्रेशर बढ़ जाता है ।
॰ भारी वजन उठाना ।
॰ पेट मे द्रव्य ।
॰ अचानक वजन बढ़ना ।
॰ लगातार ख़ासी आना ।
हर्निया के प्रमुख लक्षण (Major Symptoms of Hernia)
॰ वात रोग मे अंडकोष मशक की तरह रूखे और सामान्य कारण से दुखने वाले होते है ।
॰ पित्तज मे अंडकोष पके फल की तरह लाल जलन और गर्मी से भरे होते है ।
॰मूत्रज मे अंडकोष बड़े होने पर उनमे पानी भर जाता है । छूने से इधर उधर हिलने से दर्द होता है । अंडकोष बढ्ने के कारण अपने स्थान नीचे चला जाता है । फिर संकुचित होकर सूजकर गाठ बन जाती है ।
॰ कफ़ज़ मे अंडकोष ठंडे ,भारी चिकने ,थोड़े दर्द वाले और खुजली से भरे होते है ।
॰ मेदज के अंडकोष नीले गोल पके छूने से नरम व कफ व्रद्धि के लक्षणो से भरे दिखाई देते है।
भोजन:-
* चना ,मसूर मूंग ,और चावल अरहर ,परवल ,बैगन गाजर, अदरक ,सहजन सब्जिया और गर्म दूध पीना फायदेमंद है । लहसुन ,शहद ,लाल चावल ,गाय का मूत्र ,मट्ठा ,ज़मीकंद आदि खाने और गर्म पानी से स्नान करना लाभप्रद होगा ।और हमेशा लंघोट बाँधे रहने से लाभ मिलेगा ।
परहेज:-
*पोई का साग ,नए चावल ,उरद ,दही पका केला ,ज्यादा मीठा भोजन हाथी ,घोड़े की सवारी ,ठंडे पानी से स्नान ,धूप मे घूमना ,मल और पेशाब को रोकना और दिन मे सोना नहीं चाहिए ।
हर्निया का आयुर्वेदिक उपचार :
1-छोटी हरड़ -छोटी हरड़ को गाय के मूत्र मे उबालकर फिर एरंडी के तेल मे तल ले । फिर कालानमक ,और अजवाइन और हींग मिलकर 5 ग्राम मात्रा मे सुबह शाम सेवन करे । या 10 ग्राम पावडर का काढ़ा बनाकर खाने से आंत व्रद्धि की विक्रति दूर होती है ।
2-काफी - बार -बार काफी पीने और हर्निया बाले स्थान को काफी से धोने से उस जगह की वायु निकालकर हर्निया ठीक हो जाती है । गंभीर हर्निया रोग की अवस्था मे लाभ होता है ।
3-सफ़ेद खांड - सफ़ेद खांड और शहद मिलकर दस्तावर औषधि लेने से रक्तज अंडव्रद्धि दूर होती है ।
4-देवदारु - देवदारु के काढ़े को गाय के मूत्र मे मिलकर पीने से कफ़ज़ का अन्डव्रद्धि रोग दूर होता है ।
5-दूध- उबले हुये दूध मे गाय का मूत्र और मिश्री 25-25 ग्राम मिलकर पीने से अंडकोष मे उतरी आंत अपने आप ऊपर चली जाती है ।
6-त्रिफला - इस रोग मे मल के रुकने की विक्रति ज्यादा होती है । अतः कब्ज को खत्म करने के लिए त्रिफला का चूर्ण 5 ग्राम रात मे हल्के दूध के साथ लेना चाहिये ।
7-मारू बैगन - मारू बैगन भूनकर बीच से चीर कर फ़ोतों पर बांधने से अंतव्रद्धि व दर्द दोनों बंद होते है । बच्चो की अंडव्रद्धि के लिए यह उत्तम है ।
अतः मित्रो ayurdailyLife द्वारा बताए गए उपरोक्त बताए गए हर्निया के आयुर्वेदिक उपचार का प्रयोग कर हर्निया रोग से मुक्ति पाकर स्वस्थ और सुखहाल जीवन प्राप्त कर सकते है ।
0 टिप्पणियाँ