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 परिचय -नमस्कार मित्रो स्वागत है । कैसे है आप सब आशा करता हू ठीक होगे और जहा भी होगे  AyurdailyLife के नुस्खों को अपनाकर ज्यादा से ज्यादा लाभ उठा रहे होगे। मित्रो आज का हमारा टॉपिक है।बबासीर होने के कारण ,और इसके आयुर्वेदिक उपचार के बारे मे । साथियो इसे Piles भी कहा जाता है। बबासीर बहुत ही कष्ट कारक बीमारी है। इस बीमारी से गुदा के अंदर बाहर और मलाशय के निचले हिस्से मे सूजन आ जाती है। जिससे  गुदा के अंदर बाहर या मलाशय मे कही पर मस्से हो सकते है। मस्से कभी अंदर रहते कभी बाहर आ जाते है। ज़्यादातर लोग कब्ज़ की समस्या के चलते बबासीर के शिकार हो जाते है। हमे सही समय पर पाइल्स का इलाज करना जरूरी होता है। यदि हम ऐसा नही करते है। तो समस्याए और बढ़ जाती है । 

बवासीर के प्रकार (Piles Types)

बवासीर दो प्रकार की होती है जो निम्नवत है।

1 - खूनी बवासीर :- खूनी बवासीर मे किसी प्रकार की पीड़ा नहीं होती है। इसमे मलत्याग करते समय खून आता है। इसमे गुदा के अंदर मस्से होते है। जिसमे से मलत्याग के समय थोड़ा थोड़ा खून आता रहता है। या पिचकारी के रूप मे आता है। मलत्याग करने के बाद मस्से स्वतः ही अंदर चले जाते है । गंभीर अवस्था मे हाथ से दवाने पर भी ये अंदर नहीं जाते है। इस तरह की बवासीर का हमे तुरंत इलाज करना चाहिए ।

2 -बादी बवासीर :- बादी बवासीर पेट मे कब्ज़ और गैस की वजह से होती है । इसके मस्सो मे रक्तस्राव नहीं होता है । ये मस्से बाहर की तरफ ही होते है। इसमे बार बार खुजली जलन होती है । शुरुआती समय मे यह तकलीफ देय कम होते है । लेकिन लगातार गलत खानपान और पेट मे कब्ज़ रहने के चलते  यह फूल जाते है। और इनमे खून जमा और सूजन हो जाती है । इसमे असहनीय पीड़ा होने से रोगी परेशान हो जाता है । मलत्याग करते समय और उसके बाद भी रोगी को दर्द बना रहता है। वह स्वस्थ तरीके से चल फिर नही पाता और बैठने मे तकलीफ बनी रहती है । 

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बवासीर होने के लक्षण (Piles Symptoms):- बवासीर होने के ये लक्छ्ण देखे  जा सकते है। 

॰ गुदा के पास कठोर गांठ जैसी महसूस होती है । इसमे दर्द रहता है तथा खून भी आ सकता है । 

॰ शौच के बाद भी पेट न साफ होने का आभास होना ।

॰ शौच के समय जलन के साथ लाल चमकदार खून आना ।

॰ शौच के समय अधिक पीड़ा होना ।

॰ गुदा के आसपास  खुजली  लालपन व सूजन रहना ।

॰ बार बार माल त्यागने का मन होना । पर त्यागते समय माल न निकलना ।

बवासीर होने के कारण (Piles Causes)

आयुर्वेद मे बवासीर को अर्श कहा जाता है। यह बात ,पित्त और कफ तीनों दोषो के कारण होता है ।जिस बवासीर मे वात या कफ की प्रधानता होती है । वे अर्श शुष्क होते है । इस लिए मस्सो से ख़ून का बहाव नहीं होता ।जिस 

अर्श मे पित्त या रक्त अधिक होता है वह आर्द्र अर्श कहा जाता है । इसमे रक्तस्राव होता है । कुछ लोगो मे यह रोग पीढ़ी दर पीढ़ी होता है । लेकिन कुछ लोगो मे अन्य कारणो से भी हो जाता है । आइये जानते है।

॰ कुछ लोगो को अपने रोजगार की वजह से घंटो खड़ा रहना पड़ता है । इसके साथ ही भारी बजन उठाने वालो को बवासीर होने संभावना अधिक रहती है ।

॰ कब्ज भी बवासीर होने का एक प्रमुख कारण है । कब्ज मे मल सूखा और कठोर होता है । जिसकी बजह से  हमे मल त्याग करने मे कठिनाई होती है । काफी देर तक शौचालय मे उकड़ू बैठना पड़ता है । इस कारण गुदा की रक्तवाहिनियों पर ज़ोर पड़ता है और वह फूल कर लटक जाती है । जिन्हे मस्सा कहा जाता है । 

॰ अधिक तला और मिर्च मसालेदार भोजन करना ।

॰ शौच ठीक से न होना ।

॰ फाइबर युक्त भोजन न करना ।

॰ महिलाओ मे प्रसव के समय गुदा पर दबाब पड़ने से बवासीर होने का खतरा  रहता है ।

॰ आलस या शारीरिक कार्य न करना।

॰ धूम्रपान और शराब का सेवन करना ।

बवासीर और भगंदर मे अंतर (Difference bitween Piles and Fistula)

॰ बवासीर मे गुदा और मलाशय के निचले भाग की रक्तवाहिनियों  मे सूजन आ जाती है। ऐसा लंबे समय तक कब्ज या शौच मे बैठे रहने से होता है । इसके अलावा मोटी या गर्भवती महिलाओ मे भी होने का खतरा रहता है । जिससे गुदा या मलाशय मे मस्से हो जाते है । जिनके फूटने पर दर्द होता है और रक्त निकलता है । जबकि भगंदर मे मस्से नहीं होते है । इसमे घावयुक्त नली बन जाती है । जिसमे गुदा नलिका तथा गुदा के बाहर की त्वचा मे होती है ।भगंदर उन व्यक्तियों को होने की संभावना होती है । जिनके मलद्वार के पास कोई फोड़ा हो जाता है। फोड़े मे कई मुह बन जाते है । ऐसे मे हम यदि उससे छेड़छाड़ करते है तो भगंदर हो जाता है । इसमे ख़ून और ममाद लगातार निकलता रहता है । शुरुआत मे इसमे रक्त और मवाद की मात्रा कम होती है । धीरे धीरे रिसाव की अधिकता होने पर हमे खुजली बेचैनी और दर्द होने लगता है । 

आइये  AyurdailyLife के आयुर्वेदिक और घरेलू नुस्खो के माध्यम से जानते है कि बवासीर और भगंदर को जड़ से खत्म करके इस बीमारी से हमेशा के लिए छुटकारा पा सकते है ।   

बवासीर और भगंदर के इलाज के घरेलू नुस्खे ( Home Remedy for Piles and Fistula Treatment)

बवासीर होने का सबसे प्रमुख कारण कब्ज है । अतः हमे अपने भोजन मे ज्यादा से ज्यादा फाइवर युक्त फल सब्जियों और चोकर युक्त अनाज को सामिल करना चाहिए । तथा पानी और अन्य तरल पदार्थो का भरपूर सेवन करना चाहिए ।

1 हल्दी का लेप -: हल्दी का कड़वी तोरई मे लेप बनाकर मस्सो पर लगाने से सब तरह के मस्से  नष्ट हो जाते है । इसमे नीम का तेल मिलकर मस्सो पर लगाये तो और जल्दी मस्से खत्म हो जाते है ।

2 छाछ :- छाछ या दही मे काला नमक और जीरा का पाउडर डालकर पीने से कब्ज से राहत मिलती है । कब्ज बवासीर होने का सबसे बड़ा कारण है । और जब कब्ज ठीक होगी तो बवासीर स्वतः ठीक हो जाएगी ।

3 नीम के बीज :- नीम के बीजो कि गिरि को लेकर गुड के साथ एक गिरि प्रति दिन सुबह खाली पेट 7 दिन तक सेवन करने से खूनी और बादी बवासीर पूर्णतः नष्ट हो जाती है ।

4 नारियल की जटाओ  की भस्म :- नारियल की जटाओ को जलाकर भस्म बना ले । इसे ताजे मठठे या दही मे डालकर सुबह नियमित रूप से सेवन करे । 

5 मूली का जूस :- मूली के पत्तों को अलग करके इसके सफ़ेद भाग को पीस या ग्रीण्ड कर जूस निकाल कर इसका नियमित सेवन करे । इससे बवासीर ठीक हो जाएगी । 

निष्कर्ष :- ऐलोपैथ मे सर्जरी ही एक मात्र समाधान है । और सर्जरी के बाद भी यह रोग दुबारा हो सकता है । इसलिए ayurdailyLife के माध्यम से बताए गए उपरोक्त नुस्खो मे से किसी एक को अपनाकर बवासीर से छुटकारा पा सकते है । अतः नुस्खो को अपनाकर लाभ उठाए और आपके आसपास जो लोग बवासीर से परेशान है उनको भी AyurdailyLife के नुस्खो के बारे मे बताए ।