विषय - नमस्कार मित्रो स्वागत है आप का AyurdailyLife मे कैसे है आप सब आशा करता हू ठीक होगे और मेरे नुस्खो को फॉलो करके ज्यादा से ज्यादा फ़ायदा उठा रहे होगे और दूसरों को भी फ़ायदा पहुचा रहे होगे। साथियो ब्लॉग को फॉलो करना ना भूले जिससे मेरी एक नई पोस्ट की जानकारी का नोटिफ़िकेशन आपको सबसे पहले मिलता रहे। खैर कोई ना आपकी मर्जी अब हम चलते है आज के अपने टॉपिक की ओर आज का हमारा टॉपिक है। ''तांबे के बर्तन मे पानी क्यो पीना चाहिए'' इससे हमारे स्वास्थ को क्या लाभ होगा । रसेन्द्र पुराण मे तांबा ,शीशा ,सोना ,पारद आदि सभी धातुओ के बारे मे विस्तार से लिखा गया है। संसार की पहली धातु तांबा है। जिसमे बैक्टीरिया प्रतिरोधी गुण पाये जाते है। 5000 साल पहले आयुर्वेदाचार्य ,वैद्ध चिकित्सा मे तांबे का बहुत प्रयोग करते थे। रसेन्द्र पुराण ,मे इसका वर्णन है। कि तांबे मे एंटीआक्सीडेंट होते है। जो कैंसर के कारक फ्री रेडिकल्स और उसके दुष्प्रभाव को कम करते है। तांबा कोलस्ट्रोल के स्तर को संतुलित करता है।

सेहत के लिए फ्री रेडिकल्स :-

* ज्यादा जंक फूड ,चाट,बाहरी स्वादिष्ट खाद्य पदार्थो का आधिक मात्रा मे सेवन करने से लंबे समय तक रसायनिक खुशबू जैसे -इत्र स्प्रे व कमिकल्स के पास रहने से शरीर मे फ्री रेडिकल्स के बनने की प्रक्रिया बढ़ जाती है । फ्री रेडिकल्स को मुक्त कण कोशिकाए भी कहते है । बॉडी मे एकल कोशिकाए होती है।जो युग्म बनाने का भरपूर प्रयास करती है। शरीर की अन्य कोशिकाओ की तुलना मे ये अधिक आक्रामक होती है । युग्म बनाने की कोशिका के दौरान ये लगातार शरीर की अन्य स्वस्थ  कोशिकाओ को नुकसान पहुचाती है। फ्री रेडिकल्स के निर्माण की प्रक्रिया प्राकतिक होती है । भोजन पाचन के समय जब पेट मे विघटन की क्रिया शुरू होती है । तो फ्री रेडिकल्स का उत्पादन होता है। इन्हे पाचन के समय निकलने बाले अपशिष्ट भी कहा जाता है । 

तांबे मे मेलानिन मौजूद होता है।जो चेहरे की स्किन को सूर्य विकिरणों के होने बाली हानि से बचाता है। तांबे के पात्र का पानी थायराइड ग्रंथि के नियमित कार्य करने मे सहायक होता है। तांबा रक्त को बढाता है।तांबा शरीर के अतिरिक्त लौह कण को अवशोषित कर खून की कमी नही होने देता है। तांबे मे सूजन नाशक तत्व एंटी -इंफ्लेमेटरी प्रापर्टी जोड़ो के दर्द ,व अनेक वात विकारो मे राहत कारी है। तांबे वजन घटाने मे भी वहुत उपयोगी है। ताम्र पात्र का जल शरीर की एक्स्ट्रा चर्बी को पनपने नही देता है। 

प्राचीन भारत के अधिकतर परिवारों मे पानी पीने के लिए केवल ताम्रपात्र उपयोग किए जाते थे।तांबे का पानी बढ़ती आयु के त्वचा पर होने वाले दुष्प्रभाव को कम करता है। राजा महाराजा ताम्रपात्र पर लिखकर जमीन या वस्तु दान करते थे । क्यूकि यह गवाह के रूप मे काम करता था। आजकल अनेकों आयुर्वेदिक सौंदर्य उत्पादो मे तांबे के साथ साथ सभी सप्तधातुओ का किया जाता है। ताम्र भस्म के गुणकारी प्रयोग-ताम्र भस्म के सेवन से असंख्य असाध्य रोगो का नाश हो जाता है । विशेष कर  त्वचा की खराबी ,फोड़े फुंसी ,कैंसर रोग ,और खून की शुद्धि के लिए ताम्र भस्म अम्रतम मधु पंचाम्र्त के साथ एक से दो महीने सेवन करे । ताम्र भस्म रक्त कोशिकाओ मे से क्लोट को हटाकर खून के संचार को बढ़ाता है। दाँतो ,मसूड़ो मे जमी गंदगी तथा जीवाणुओ को हटाने मिटाने के लिए ताम्र भस्म से मंजन करे । अगर आप चाहे तो अम्रतम द्वारा डेंटकी मंजन या माल्ट भी कर सकते है।यह दिल के रोगो से बचाने मे बहुत उपयोगी है। तांबा शरीर को डिटक्सीफ़ाई करता है। सुबह उठते ही केवल एक बार 3-4 गिलास पानी तांबे के बर्तन का पिये। हर समय तांबे के पात्र का जल न पिये। तांबे के पात्रो का उपयोग पूजा पाठ मे करने की परंपरा है । तांबा एक अत्यंत शुभ धातु है। शरीर को सेहतमंद बनाए रखने मे तांबा बहुत गुणकारी है। तांबे की गिनती सप्तधातुओ मे की जाती है।

सावधानिया:- 

तांबे के पात्र मे कभी दूध ,दही या नीबू का पानी रखकर उपयोग न करे । 

सप्त प्रकार धातु क्या है:-

1-स्वर्ण  या सोना 2-रजत या चांदी  3-ताम्र  या तांबा  4-रांगा 5-जसद  6-सीसा वंग 7 - लोहा

तांबा एक तन्य धातु है जिसका प्रयोग विद्धुत चालक के रूप मे किया जाता है। तांबे के पात्र मे गर्म पानी करके ना पिये। तांबे के पात्र को नीबू के रस ,खट्टे दही का पानी ,या किसी सोडा या मिट्टी से माजकर साफ नहीं किया जा सकता । 

सावधान रहे:-

आजकल एलोपैथी कंपनियो के कुछ लेखक ब्लॉगर तथा कई अन्य ऐसे सोशल साइटो पर लोगो को भ्रमित कर रहे है। ताकि लोग बीमार होकर डॉक्टर के पास जाए। आयुर्वेद के 2000 से अधिक ग्रंथ,उपनिषद दुनिया मे उपलब्ध है। इन ग्रंथो मे दुनिया के हर खाद्य पदार्थ ,जड़ी बूटियो ,धातु,रस भस्मों के सेवन की जानकारी विस्तार से वर्णित है। वर्तमान लेखक बहुत सा ज्ञान मनगढ़ंत बाँट रहे है। अतः इनसे साबधान रहे। इस समय गर्म पानी पीने का जाल फैलाया जा रहा है। गर्म पानी पीने की परंपरा 5-10 सालो से जानबूझकर शुरू कारवाई गयी है। ताकि लोग अधिक से अधिक बीमार हो और इलाज करबाने डाक्टरों के पास जाए।

प्रातः गर्म पानी पीने से बचे :-

सुबह उठते ही गर्म या गुनगुना पानी पीने से जोड़ो की चिकनाहट कम होने लगती है। इससे भविष्य मे कमर दर्द ,जोड़ो का दर्द,पिंडलियों का दर्द शुरू हो जाता है। सुबह पानी मे नीबू का रस मिलकर लेने से थायरायड और नपुंसकता की समस्या होने लगती है। अतः सुबह सुबह नीबू का पानी ना सेवन करे। प्राचीनकाल मे लोग जल जैसा धरती माँ और हमारी प्रक्रति ने दिया बैसा ही उपयोग मे लाते थे।   

मित्रो आशा करता हु कि AyurdailyLife द्वारा दी गयी उपरोक्त जानकारी आपको लाभ पहुचा कर स्वस्थ व निरोगी बनाएगी। धन्यबाद