आयुर्वेदिक जीवनशैली (Ayurvedic Lifestyle)
विषयसूची- मित्रो कैसे है आप सव आशा करता हु आप सब सकुशल होगे । जहा भी होगे मेरे  बताए हुये  आयुर्वेदिक  नुस्खे  अपना कर जादा से ज्यादा लाभ उठा रहे होगे। भाइयो /बहनो  आज मे उसी कड़ी को आगे बढाते हुये  फिर आपके सामने एक नए  टॉपिक  के साथ हाजिर हु । आज का हमारा  टॉपिक है । 
''आयुर्वेद के चार  नियम''  आयुर्वेद मे बताए  गए इन चार नियमो को अपनाते है । तो  आपको कभी कोई  रोग  नही  होगा  न  बीमार पड़ेगे ये  सत्य है। ये दावा  मै  नही कर रहा  हमारे  ऋषियों  ने  इसे  प्रमाणित  भी किया है। बाबा  रामदेव जी  इनही चार नियमो का पालन  40-45 साल से कर रहे है। इन  नियमो का पालन करने  से  बीमार क्यो नही होगे क्यू कि इन नियमो का पालन करने से आपका बीपी ,शुगर ,कोलोस्ट्रोल नॉर्मल रहता है। जब ये सारी चीजे शरीर मे नॉर्मल होगी तो बीमारी हमारे पास नही आएगी और हम निरोग और स्वस्थ रहेगे। ये चरो नियम हमारे बात ,पित्त और कफ को संतुलित रखने  के लिए है । हमारा  शरीर त्रिदोष  आधारित है   ''बात '' जब बहुत  बिगड़ता है तो  80 से ज्यादा रोग  आते है। ''पित्त'' जब बिगड़ता है तो  46-50 रोग आते है और ''कफ जब बिगड़ता है तो  28 रोग आते है।और  गर  तीनों बिगड़ जाए तो 148 रोग आते है। सर्दी ,ख़ासी से लेकर कैंसर तक  बात , पित्त और कफ के  बिगड़ने का खेल है। इस देश के आयुर्वेद चिकित्सा के सबसे महान लोगो मे से कुछ नाम  हम सब जानते है। जैसे चरक ऋषि, सुश्रुत ऋषि, ऐसे ही एक ऋषि हुये बागभट्ट जिन्होने एक पुस्तक लिखी  अष्टांग हृदयम और एक पुस्तक लिखी अष्टांग संग्राहम इन दोनों पुस्तकों मे उन्होने 7000 नियम बताए है। उनमे से  चार नियम बताता हू। अच्छे लगे तो आज से ही पालन करो और दूसरों को भी बताओ ताकि  जो भी इन नियमो का पालन करे तो बीमार ही न पड़े। जो कि निम्नलिखित है।


1- खाना खाने के तुरंत बाद पानी नहीं पीना- अब आप बोलेगे ये तो बड़ी मुसकिल बात है । कुछ लोग तो खाना कम खाते है पानी ज्यादा पीते है। खाना खाने के बाद पानी कभी मत पीना  क्यूकि महाऋषि बागभट्ट जी कहते है। कि  ''भोज़्नंते बिशमवरी'' भोजन के अंत मे पानी पियो तो ज़हर पीने जैसा है। भोजन  के अंत मे न पानी पीने  का कारण हम जब खाना खाते है तो सारा खाना एक जगह इकठा होता है उस सथान का नाम है जठर  कुछ लोग उसे  आमाशय भी कहते है।अँग्रेजी मे उसे एपीगाइट्रियम कहते है। जठर नाभि के लेफ्ट साइड मे छोटा सा स्थान है। सारा भोजन हमारा इसी स्थान पर एकत्र  होता है। कुछ  भी आप खाये  दाल सावजी दूध दही  सब आमाशय मे ही आता है। जैसे ही भोजन जठर मे इकठा होता बैसे ही उसमे आग जलती है जिसे कहते जठर अग्नि  जिसे मिलकर बोल देते है जठराग्नि। ये अग्नि ही खाने को पचती है। आमाशय कि अग्नि बैसे ही खाने को पचाती है जैसे रसोई घर कि अग्नि भोजन को पकाती है। अग्नि जब तक जलती रहेगी तब तक भोजन पकता रहेगा।बैसे ही जब तक आमाशय मे अग्नि जलती रहेगी तबतक भोजन पचेगा। आपने खाना खाया पेट मे अग्नि जल गयी खाना पच रहा है। तुरंत आपने  पानी पी लिया  खूब ठंडा पानी पी लिया  तो क्या अग्नि  जलेगी या बुझेगी । बुझेगी न क्यूकि अग्नि के ऊपर पानी डालो  तो अग्नि बुझ जाएगी ।तो भोजन के पचने कि क्रिया बंद हो गयी। खाना पचेगा नही तो बो  पेट मे पड़े पड़े सड़ेगा और सड़ा हुआ खाना 100 से ज्यादा विष पैदा करेगा वो 100 विष आपके जीवन को नर्क बना देगे। और जीवन भर आप बीमार रहोगे।  बहुत से लोग कहते मेरे पेट मे गैस बनती है। आपको मालूम है ये गैस उन्ही लोगो को बनती है जिंनका खाना पचता नही है। पेट मे जलन होना , पेट गुम होना ये खाना न पचने के लक्छ्ण  है। खाना पचेगा नही तो सड़ेगा विष पैदा करेगा बो विष आपको बीमार करेगे। इसलिए भोजन करते ही पानी मत पियो। भोजन करने के 1घंटे बाद तक पानी नही पीना है। ये जो अग्नि जले कि क्रिया है बो एक घंटे तक ही चलती है पेट मे। 1 घंटे बाद ये अपने आप शांत हो जाती है उसके बाद आप पानी पीलो। भोजन यदि 10बजे खाया तो पानी 11बजे पियो 11बजे खाया तो 12बजे पियो। अब आपके मन मे ये सवाल आ सकता है कि भोजन करने के पहले पी ले क्या ? हा पी सकते हो पर भोजन करने के 40 मिनट पहले  10बजे खाना लेना है तो 9:20 पर पी लो 11 बजे भोजन करना है तो 10:20 पर पेट भर के पीलो। 

आप एक सवाल पूछ सकते हो कि  अच्छा ठीक है खाने के बाद पानी तो नही पीएगे कुछ और पी सकते है क्या? हा  पीना है तो खाने के तुरंत बाद दही कि लस्सी पियो सकते मट्ठा पियो। गन्ने का रस  पी लो मुसम्मी का रस पी लो अनार का रस पी लो। नीबू कि सिकंजी पी लो। दूध पी लो। सुबह  ब्रेकफ़ास्ट के साथ फलो का रस पियो दोपहर को भोजन के बाद दही या मट्ठा और शाम को भोजन के बाद  दूध पीना अच्छा।

2-पानी  घुट घुट कर पीना - पानी कभी भी पियो घुट घुट कर पियो जैसे गरम चाय गरम काफी या गरम दूध पीते है । एक एक घुट पानी जब हम पीते है तो मुह कि लार पानी के साथ पेट मे जाती है।ये जो मुह कि लार होती है। ये  छारीय होती है । पेट मे हमेशा अम्ल बनता रहता है। हर एक घुट पानी के साथ लार पेट मे जाकर पेट मे जो अम्ल बनताहै  उसमे मिलती रहेगी तो कभी भी आपके पेट मे अम्लता, व एसिडिटि नही होती।और जिनके पेट मे अम्लता नही होती उनके जीवन मे कभी बात,पित्त और कफ के असंतुलनकी स्थिति पैदा नही होती। इसलिए पानी घूटघूट कर पिये।

3-ठंडा पानी कभी न पिये- जीवन मे कितनी भी आपको प्यास लगी हो कभी भी ठंडा पानी मत पीना जैसे  फ्रिजका पानी वाटर कूलर का पानी  क्यूकि इसका तापमान वहुत कम होता है ।ये  कभी मत पीना क्योकि शरीर आपका गरम है।पानी ठंडा होता क्या है वो मै आपको बताता  हू।पेट तो गरम है इसमे ठंडा पानी डालदिया अपने अंदर झगड़ा होता है।या पानी पेट को ठंडा करेगा  या पेट पानी को गरम करेगा।अगर पानी ने पेट को ठंडा कर दिया तो पेट के ठंडा होते ही हृदय ठंडा हो जाता है।हृदय के ठंडा होते ही मस्तिस्क ठंडा हो जाता है।मस्तिस्क के ठंडा होते ही आदमी ठड़ा  हो जाता है।और आदमी के ठंडा होते ही राम नाम सत्य है हो जाता है। अतः आप ठंडा पानी पीना बंद करो और सादा पानी पियो ज्यादा गर्मी होने पर आप मिट्टी के घड़े का पानी पी लेना पर फ्रिज और वॉटर कूलर का कभी मत पीना।

4-सुबह उठते ही  पानी पिये-प्रातः कल मे जब अप सो कर उठे तुरन्त 2-3 ग्लास पानी पिये उसके बाद आप टॉइलेट को जाए। सुबह उठकर पानी पीने दो फायदे है पहला फायदा पानी पेट मे जाकर बड़ी आत  को साफ करता  है। जैसे ही बड़ी आत कि सफाई होगी पेट मे दवाव बढ़ेगा और सौच को जाएगे 2-3 मिनट मे आपका पेट साफ हो जाएगा। जिंनका पेट सुबह एक बार मे साफ हो जाता है उनकी ज़िंदगी मे कभी रोग नही आता है।


मित्रो  आप सब आयुर्वेद मे बताए  गए  उपरोक्त  इन चार महत्त्वपूर्ण नियमो का पालन करके निरोग रहे धन  कमाए  जीवन का आनंद  उठाए और जीवन को सुख और संपन्नता के साथ जिये ।  बेदों मे चार सुख बताए गए है।

''पहला सुख जो निर्मल काया ,दूजा सुख घर मे हो माया,तीजा सुख पतिव्र्ता नारी ,चौथा सुख सुत आज्ञा कारी''

''धन्यबाद ''