आयुर्वेद मे हृदय रोग का इलाज
आजकल की भाग दौड भरी लाइफ और प्रदूसण की वजह से हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हो जाते है। हृदय मानव सरीर का सवसे महत्वपूर्ण अंग है । जिसके अस्वस्थ होने पर हमारे जीवन बहुत सी समस्याये आ
जाती है जैसे - चलने या दौड़ने पर सांस फूलना ,हार्ट का तेज धड़कना हार्ट ये समस्याए ब्लड के गाढ़ा होने से खून के थक्के का हार्ट की नसो जाम जाने होती है । अग्रेजी मे उसे क्लाट भी कहा जाता है । क्लाट आ जाने से
ब्लड सर्कुलेसन रुक जाता और व्यक्ति की मौत हो जाती है। जिसे हार्ट अटैक भी कहा जाता है। एलोपैथ डॉक्टर एंजियोप्लास्टी कर देते है । ये इसका कोई सफल इलाज नही है । फिर क्लाट आए फिर एंजियोप्लास्टी करवाओ
यानि जब तक जियो महगी दवाई खाओ और जांच कराओ ।
मित्रो आयुर्वेद बहुत ही पुरानी और विसवासनीय चिकित्सा होने के साथ साथ कम खर्चीली पद्धति है । आयुर्वेद चिकित्सा हमारी बीमारी की जड़ को खत्म करती है। जबकि एलोपैथी हमारी मर्ज को दवाने का कम करती है।
अतः हृदय रोग को ठीक करने के लिए आपको आयुर्वेदिक उपचार पद्धति को अपनाना चाहिए । आयुर्वेद मे इसका सफल इलाज है । मित्रो हमारे जीवन की स्वस्थता बात ,पित्त ,और कफ के संतुलन पर टिकी है। हमारे हृदय को पोषण आक्सीजन और रक्त से ही मिलता है। जो कोरोनरी धमनियो द्वारा प्रदान किया जाता है। हृदय रोगो को कम या खत्म करने वहुत ही उपयोगी है। आयुर्वेद की दवाए हृदय के मरीजो को ठीक करती है। अर्जुन की छाल ,बह्मी,जटामासी,गिलोय ,वीट,ग्रास ,बुरांश आदि से बनी दवा हृदय रोग मे कारगर है। अर्जुन की छाल से बनी दवा या चाय हृदय संबंधी समस्याओ को दूर करने मे सच्हम है। ब्राह्मी दिमाग को शांत और तेज रखता है। यह विषेश तौर पर महिलाओ के लिए उपयोगी है। जटामासी इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है। यह बढ़ी धड़कन और मिर्गी को भी नियंत्रित करता है। आइये जानते है हृदय रोग की आयुर्वेदिक औषधियो के बारे मे ।
इसका कोई भी दुस्प्रभाव नही होता है।
हृदय के पोषण के लिए -हृदय रोग मे अर्जुन की छाल को लेने प्रचलित विधि "अर्जुन छाल छीर पाक'' है। इसके लिए एक कप दूध (बिना मलाई बाला )मे एक कप पानी मिलकर उबाले । इसमे आधा चम्मच अर्जुन की छाल का चूर्ण डाले । जब इस तरल की मात्रा आधी रह जाए तो गुनगुना गुनगुना ही सेवन करे । इसका खाली पेट एक दोबार सेवन करने से हृदय की धड़कन नियमित व व्यवस्थित होती है। साथ ही हृदय को पोषण मिलता है ।
इसे हृदय रोगो के बचाव के लिए भी ले सकते है।
लौकी का सेवन -हार्ट ब्लॉकेज के लिए लौकी एक बेहतर बिकल्प है। हार्ट ब्लोकेज हमारे रक्त मे अम्लता की मात्रा के बढ्ने से होती है। अम्लता का मतलब चिकनावत से होता है। जिसे हम बैड कोलोस्ट्राल कहते है । जिससे ब्लड गाढ़ा हो जाता है। और हमारे शरीर और हृदय की धमनियो मे जमने लगता है । जिससे रक्त संचार रुक जाता है और व्यक्ति हार्ट अटैक आ जाता है । लौकी मे सवसे ज्यादा छार होता है। इसका सेवन करने से रक्त की अम्लता खत्म होती है। जिससे कोलोस्ट्राल कम होता है । और हमे हार्ट और धमनियो के ब्लोकेज से छुटकारा मिल जाता है । लौकी ,तुलसी की पत्ती ,और पुदीने की पत्ती 5-6 मिलकर जूस निकाल ले 200ml और इसने सेंधा या काला नमक स्वाद के अनुसार मिलकर सेवन करे । इसका सेवन दिन मे एकबार सुबह खाली पेट करना है । 90 दिन तक फायदा आपको 21 दिन मे ही दिखना सुरू हो जाएगा । ये बहुत ही उत्तम उपाय है ।सुझाव - हृदय रोगियो के लिए कुछ चीजों का ध्यान रखना होगा । उन्हे फारचून, डालदा ,सफ़ेद नमक ,और चीनी का सेवन का सेवन नही करना चाहिए । ये सभी चिजे हृदय रोगियो के लिए बहुत नुकसान देय है । सुबह उठाकर मॉर्निंग वॉक करे । व्यायाम करे । मित्रो इन उपरोक्त बताए गए आयुर्वेद उपचार के माध्यम से आप घर पर ही हृदय संबंधी रोगो का बड़ी आसानी से इलाज कर सकते है। और आप स्वस्थ व सुखी जीवन पा सकते हो।
अतः इन प्रयोगो को विस्वास के साथ करे और हृदय संबंधी बीमारियो से छुटकारा पाये । आप जहा भी रहे स्वस्थ और मस्त रहे इनही मंगल कामनाओ के साथ मै अपनी बाणी को बिराम देता हू। फिर मिलता हू अगले टॉपिक के साथ नमस्कार।
''धन्यबाद''
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