परिचय - कैसे हो मित्रो आज मै फिर हाजिर हू, AyurdailyLife के माध्यम से आपकी सेवा मे एक नई जानकारी के साथ साथियो आज का हमारा विषय है, बांझपन जिसे निः संतानतता भी कहते है । जिसकी बजह से महिलाओ के बच्चे नही और उनकी वंश ब्रद्धि रुक जाती है । आज कल यह समस्या एक आम समस्या बन गयी है । और यह हमारे परिवारों के लिए बहुत बड़ा चिंता का विषय है । आइये जानते है इसके बारे मे विस्तार से कि बांझपन क्या है इसके कारण लक्षण और इसके आयुर्वेदिक और घरेलू उपचार के बारे मे ।

बांझपन दूर करने के लिए घरेलू उपाय
*बांझपन क्या है :

बांझपन का सीधा अर्थ है कि बच्चे न होना । महिलाओ मे गर्भधारण न होना या असमर्थ होना । यह रोग पुरुषो मे भी हो सकता है । पुरुष का महिला को गर्भ धारण करवाने सफल न होना । पति मे दोष न होने पर यदि पत्नी 5 वर्ष तक गर्भधारण नही कर पाती है तो स्त्री को बांझ रोग से ग्राषित माना जाता है । 

स्त्री बांझपन के कारण :

1-जन्मजात बांझपन के कारण जैसे  स्त्री का जन्म से गर्भाशय न होना या गर्भाशय का बहुत छोटा होना,योनि कि नाली बिलकुल बंद होना या उसका अंतिम भाग बंद या बहुत तंग होना । डिंबाशय का न होना या बंद होना । गर्भाशय का मुख बिलकुल बंद हो जाना इत्यादि । 

2-भगद्वार के ओष्ठो का जुड़ जाना ,गर्भाशय का उल्टा हो जाना,गर्भाशय मे बहुत अधिक चर्वी एकत्र हो जाना ,गर्भाशय का कठोर हो जाना ,डिम्बाशय पर झिल्ली उत्पन्न हो जाना और उसकी संरचना खराब हो जाना ,फैलोपियन ट्यूब के झालर बाले किनारे खराब हो जाना ,श्वेत प्रदर आदि होना ,मासिक धर्म संबंधी विकार ,गर्भाशय के घाव और कैंसर ,गर्भाशय मे दूषित तरल एकत्र हो जाना ,गर्भाशय मे वायु या पानी एकत्र हो जाना ,गर्भाशय मे बबासीर हो जाना ,हार्मोन्स के दोष ,मोटापा ,खून की कमी ,गर्भाशय मे सर्दी ,गर्मी खुश्की और तरल का अधिक एकत्र हो जाना तथा गर्भाशय के अन्य अनेक रोग बांझपन का कारण बन सकते है । 

*स्त्री बांझपन के लक्षण 

1-यदि निः संतानतता स्त्री मे जन्मजात कारणो से होता है । तो इसका जांच मे इसका पता चल जाता है । योनि बंद होने की स्थिति मे रति क्रिया नही की जा सकती है । 

2-डिम्बाशय ना होने पर या उसकी संरचना खराब होने पर स्त्री को रति क्रिया के आनंद की अनुभूति नही होगी और ना ही उसमे मैथुन इच्छा उत्पन्न होगी ।   

3-डिम्बाशय पर झिल्ली उत्पन्न हो जाने या फायलोपियन प्रणालियों के बंद हो जाने पर संभोग का आनंद तो आता है ,किन्तु तरलपात नहीं होता । 

4-व्रक्कों के ऊपर की ग्रंथियो और डिम्बाशय मे रसूली हो जाने पर महिलाओ मे मर्दाना गुण उत्पन्न हो जाते है, और उसके दाढ़ी मुछों के वाल निकलने लगते है । स्तन छोटे और कड़े हो जाते है । मासिक धर्म बंद हो जाता है ,और योनि बड़ी हो जाती है ।

5-यदि गर्भाशय के किसी दूसरे रोग के कारण बांझपन हो तो महिलाओ को उस रोग का स्वतः ज्ञान हो जाता है । 

*स्त्री बांझपन के उपचार 

सर्वप्रथम बांझपन के वास्तविक कारण को जानकर दूर करने का प्रयास करे । यदि स्त्री मे जन्म से कोई दोष हो तो उसका उपचार संभव नहीं है । अन्य गर्भाशय रोगो के कारण बांझपन हो  या पति मे वीर्य संबंधी कोई विकार है तो उसका उपचार पूर्णतःसंभव है । 

*6 ग्राम मैनफल बीज का चूर्ण को केशर मिश्रित दूध के साथ सेवन करने से व इसके साथ मैनफल बीज चूर्ण को 8 से 10 रत्ती गुड मे मिलकर बत्ती बनाकर योनि मे रखे । इन दोनों औषधियो के प्रयोग से गर्भाशय की सूजन ,मासिक धर्म का कष्ट के साथ आना ,अनियमित श्राव आदि विकार दूर हो जाते है ।

*वह पुरुष जो बच्चा पैदा करने मे असमर्थ है या उसके सुक्राणु कमजोर है या उसके सुक्राणु कम है । तो वह सुबह के समय दो लौंग एक ग्लाश पानी मे डालकर रख दे और शाम को भोजन करने के 30 मिनट बाद उस जल का सेवन करे । इससे आपके सुक्राणु की संख्या बहुत तेजी से बढ़ेगी व सुक्राणु मजबूत भी होगे और वह पुरुष बच्चा पैदा करने मे पूर्णतः समर्थ हो जाएगा । यह प्रयोग आपको कम से कम 3 महीने करना है । 

*जिस महिला को गर्भ धारण नहीं होता ,वह चुटकी भर दालचीनी शहद मे मिलकर दिन मे 3 या चार बार मसूड़ो मे लगाए थूके नहीं । इससे यह लार मे मिलकर शरीर मे चला जाएगा । इस प्रयोग को करने से वह शीघ्र ही गर्भधारण को प्राप्त होगी । 

*श्वेत प्रदर के कारण जिन महिलाओ को गर्भधारण नहीं होता है । उनके लिए बहुत ही असरकारक प्रयोग है । श्वेत प्रदर रोगी महिला को 1 ग्राम गुग्गल और रसौत को मक्खन के साथ मिलकर सेवन करने से श्वेत प्रदर दूर का रोग ठीक होकर कर वह महिला गर्भधारण करेगी । 

*गर्भाशय की शिथिलता  व गर्भ रुकने के बाद गर्भ श्राव हो जाने बाले रोगियो को तेजपत्ता का चूर्ण 1 से 4 ग्राम सुबह शाम सेवन करने से गर्भाशय का ढीलापन और गर्भश्राव संबंधी दोष दूर होगे और स्त्री गर्भधारण योग्य हो जाएगी । जिन स्त्रियो को गर्भश्राव होता है उन्हे गर्भवती होने के बाद कुछ महीने तेजपत्ते के पाउडर की फंकी लेनी चाहिए । 

*यदि किसी स्त्री को मासिक धर्म नियमित रूप से सही मात्रा मे होता है । परंतु गर्भ नहीं ठहरता तो उन स्त्रियो को मासिक धर्म के दिनो मे तुलसी के बीज का काढ़ा पीने या पीसकर सेवन करने से गर्भधरण हो जाता है । यदि गर्भधरण न हो तो इस प्रयोग को निरंतर करे । इस प्रयोग को करने से गर्भशाय निरोग ,सबल होकर गर्भधारण के योग्य बंता है ।

*गर्भाशय छोटा होने या सुख जाने के कारण बांझपन हो तो गंभारीफल की मज्जा और मुलेठी को 250 ग्राम गर्म दूध के साथ सुबह शाम सेवन करने से गर्भशाय पूर्ण रूप से पुष्ट हो जाता है । और बांझपन दूर होता है ।

*गर्भशाय उल्टा हो जाने पर कस्तूरी और केशर को समान मात्रा मे लेकर पीसकर गोली बना ले । इस गोली को महावारी होने से पहले योनि मे रखे इसी प्रकार तीनों दिन तक गोली रखने से गर्भशाय ठीक हो जाता है । 

*गर्भशाय के बढ़े हुये मांस को ठीक करने के लिए काला जीरा ,हाथी का नख को अरंडी के तेल मे महीन पीस ले फिर उसमे रुई का फीहा तर करके तीन दिन तक योनि मे रखे इससे गर्भशाय का बढ़ा हुआ मांस ठीक हो जाता है । 

अतः Ayurdailylife द्वारा बताए गए बांझपन दूर करने के आयुर्वेदिक उपचारो का प्रयोग कर हमारी माताए बहने मात्रत्व सुख पा सकती है । और जरूरत मंदो तक जानकारी पाहुचाए जिससे वो इसका लाभ उठा सके । उपरोक्त बताए गए आयुर्वेदिक प्रयोगो का कोई भी साइडिफ़ेक्ट नहीं है।